आधार कार्ड की अनिवार्यता पर सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला दिया।
केंद्र के महत्वपूर्ण आधार कार्यक्रम और इससे जुड़े 2016 के कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर एवं आधार कार्ड की अनिवार्यता पर उच्चतम न्यायालय ने आज अहम फैसला दिया।
मामले में उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश के एस पुत्तास्वामी की याचिका सहित कुल 31 याचिकाएं दायर की गयी थीं ।
उच्चतम न्यायालय ने आधार की अनिवार्यता पर फैसला सुनाते हुए आधार की संवैधानिकता कुछ बदलावों के साथ बरकरार रखा।
- उच्चतम न्यायालय यह माना कि आधार आम आदमी की पहचान है. न्यायालय ने कहा कि आधार के पीछे की सोच तार्किक है और आधार की वजह से निजता हनन के सबूत नहीं मिले हैं।
- न्यायालय ने आधार अधिनियम की धारा 57 को हटा दिया है। अब न्यायालय की अनुमति के बिना आधार का बायोमेट्रिक डेटा किसी एजेंसी को नहीं दिया जाएगा। सुरक्षा मामलों में एजेंसियां आधार मांग सकती हैं।
- सरकार द्वारा दी गई कल्याणकारी योजनाओं और सब्सिडी का लाभ उठाने के लिए आधार आवश्यक है परन्तु यदि कोई बच्चा अपना आधार नंबर प्रस्तुत नहीं कर पा रहा है तो उसे इस कारण किसी भी किसी भी योजना से वंचित नहीं किया जा सकता है।
- प्रमाणीकरण रिकॉर्ड छह महीने से अधिक समय तक संग्रहीत नहीं किए जा सकते हैं।
- न्यायालय ने निर्देश दिया कि अवैध प्रवासिओं को सरकार आधार कार्ड न दें।
इन सेवाओं के लिए आधार की आवश्यकता नहीं है –
- सीबीएसई, एनईईटी, यूजीसी आधार अनिवार्य नहीं कर सकता है।साथ ही स्कूल भी आधार नहीं मांग सकते हैं।
- मोबाइल कनेक्शन के लिए आधार अनिवार्य नहीं है।
- न्यायालय ने आधार को मोबाइल से लिंक करने का फैसला रद्द कर दिया। कोर्ट ने आधार को बैंक खाते से लिंक करने के फैसले को भी रद्द कर दिया।
- नया बैंक खाता खोलने के लिए आधार की जरूरत नहीं है।
इन सेवाओं के लिए आधार लिंकिंग की आवश्यक है:
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आधार से पैन कार्ड को जोड़ने का फैसला बरकरार रहेगा।
- आयकर रिटर्न दाखिल करने के लिए आधार जरूरी है।
- सरकार द्वारा दी गई कल्याणकारी योजनाओं और सब्सिडी का लाभ उठाने के लिए आधार आवश्यक है।