जुवेनाइल जस्टिस (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015, जिसे आमतौर पर जेजे अधिनियम कहा जाता है, बच्चों की देखभाल, संरक्षण और कानूनी समर्थन के लिए भारत में लागू किया गया एक व्यापक कानून है। इस अधिनियम की धारा 75 स्कूलों में बच्चों के प्रति क्रूरता को रोकने से संबंधित है।

धारा 75 का सार

धारा 75 उन लोगों के लिए दंड निर्धारित करती है जो बच्चों के प्रति क्रूरता करते हैं। खासकर, यह उन व्यक्तियों के लिए है जो किसी संस्था या संगठन (जिसमें स्कूल भी शामिल हैं) में बच्चों की देखभाल करते हैं, जहाँ बच्चे रहते हैं, शिक्षा प्राप्त करते हैं, या गतिविधियों में भाग लेते हैं। यदि ऐसे व्यक्ति जानबूझकर बच्चे पर हमला करते हैं, उसे छोड़ देते हैं, या उसकी उपेक्षा करते हैं, जिससे बच्चे को मानसिक या शारीरिक पीड़ा होती है, तो यह अपराध माना जाएगा। इस अपराध के लिए सजा में जेल, जुर्माना, या दोनों शामिल हो सकते हैं।

स्कूलों के लिए इसके मायने

  1. स्कूल प्रशासन की जिम्मेदारी: स्कूल प्रबंधन और कर्मचारियों, जिसमें शिक्षक, प्रशासक और अन्य कर्मचारी शामिल हैं, पर यह जिम्मेदारी है कि वे बच्चों की सुरक्षा और भलाई सुनिश्चित करें। छात्रों के प्रति किसी भी प्रकार की शारीरिक या मानसिक हिंसा, उपेक्षा, या क्रूरता के मामले में कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
  2. घटनाओं की अनिवार्य रिपोर्टिंग: स्कूलों को बच्चों के प्रति होने वाली किसी भी क्रूरता या दुर्व्यवहार की घटनाओं की सूचना संबंधित अधिकारियों को देनी चाहिए। यह न केवल बच्चे की सुरक्षा सुनिश्चित करता है बल्कि दोषियों को जवाबदेह ठहराने में भी मदद करता है।
  3. रोकथाम के उपाय: स्कूलों को बाल संरक्षण नीतियाँ अपनानी चाहिए, कर्मचारियों को बच्चों के प्रति संवेदनशीलता से पेश आने के लिए नियमित प्रशिक्षण देना चाहिए, और छात्रों के लिए किसी भी दुर्व्यवहार की रिपोर्ट करने की व्यवस्था करनी चाहिए।
  4. कानूनी परिणाम: धारा 75 का उल्लंघन गंभीर दंड का कारण बन सकता है, जिसमें तीन साल तक की जेल और जुर्माना शामिल हैं। यदि बच्चे को गंभीर चोट या नुकसान होता है, तो सजा और भी सख्त हो सकती है।

निष्कर्ष

जेजे अधिनियम की धारा 75 स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कानूनी सुरक्षा कवच है। स्कूलों का दायित्व है कि वे एक सुरक्षित और पोषणकारी वातावरण प्रदान करें और इस कानून के प्रति जागरूक रहें। उन्हें बच्चों के प्रति किसी भी प्रकार की क्रूरता को रोकने के लिए सक्रिय कदम उठाने चाहिए।

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