दिल्ली पेरेंट्स एसोसिएशन द्वारा 30 अगस्त2019 को एक अनुरोध पत्र LG, CM और DY CM लिखा गया था। जिसमे हमने *द्वारका सेक्टर 4 स्थित एन के बगरोडिया स्कूल की मान्यता रद्द न करके DSEAR 1973 Sec 20 के तहत स्कूल के टेकओवर की मांग कर स्कूल को “प्रतिभा विकास विद्यालय/ केंद्रीय विद्यालय” जिससे उक्त स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों का भविष्य सुरक्षित रहे*
आज 2nd सितंबर 2019 को ये लेटर DY CM OFFICE से फॉरवर्ड होता हुआ, डायरेक्टर एडुकेशन बिनय भूषण के पास और तद्पश्चात वहाँ से DDE PSB योगेश प्रताप जी के पास पहुँच गया है।
DPA ने निम्नलिखित लैटर लिखा था:
माननीय,
शिक्षा विभाग द्वारा द्वारका सेक्टर 4 स्थित एन के बागरोडिया स्कूल की मान्यता हाल ही में रद्द करने का आदेश ज़ारी हुआ है जो 1 अप्रैल 2020 से लागू हो जाएगा।
ख़बर के मुताबिक सरकारी यानी DDA ज़मीन पर बना द्वारका सेक्टर 4 का  बगरोडिया स्कूल लगातार 2016 से लगातार फ़ीस बढ़ा रहा था । 2019 में उसने 30% फ़ीस की बढ़ोतरी की। शिक्षा निदेशक बिनय भूषण के अनुसार स्कूल ने कई सालों से फीस बढ़ोतरी का कोई प्रपोजल नहीं सौंपा था। वर्ष 2019 में स्कूल ने 30% फ़ीस बढ़ोतरी का ऑनलाइन प्रपोजल सबमिट किया परंतु विभाग से उन्हें फीस बढ़ाने की अनुमति नहीं मिली थी।
खबर में स्कूल प्रशासन ने दलील दी कि शिक्षा विभाग नॉमिनी ने उन्हें फ़ीस बढ़ाने की अनुमति दे दी थी, और इस अनुमति प्राप्त फीस प्रपोजल को ऑनलाइन अप्लाई किया था । परंतु इस बढ़ोतरी को शिक्षा विभाग ने ये कह कर खारिज़ किया कि वो सरकारी जमीन के अलॉटमेंट कंडीशन्स का उल्लंघन कर रहे हैं और शिक्षा विभाग ने DSEAR 1973 के नियमों के तहत स्कूल की मान्यता रद्द करने का आदेश जारी किया।
दिल्ली पेरेंट्स एसोसिएशन शिक्षा विभाग के इस आर्डर का विरोध करता है क्योंकि मान्यता रद्द होने से स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों का भविष्य अंधकार में हो जाएगा। जबकी DSEAR 1973 के अनुसार उल्लंघन करने पर शिक्षा विभाग Sec 20 के तहत स्कूल के टेकओवर का प्रावधान है।
एसोसिएशन अपनी इस दलील में ये निम्न तथ्य रखता है:
आदेश की कॉपी – कृपया आदेश को जनता के साथ साझा करें।
दिल्ली HC में  मामला डबल बेंच में उप-पक्षीय –  दिल्ली HC के हालिया फैसले में कहा गया है कि किसी अनुमति की आवश्यकता नहीं है, मामला आज भी डबल बेंच में विचाराधीन  है। फिर यह आदेश कैसे प्रभावी है।
मुनाफाखोरी – आज अधिकतर स्कूल मुनाफाखोरी में लिप्त हैं चाहे वो एनुअल फंक्शन, स्कूल ड्रेस/ यूनिफार्म, प्राइवेट पब्लिशर्स बुक्स, विदेश यात्रायें, स्कूल के अंदर संसथान इत्यादि
डीई / एबी नॉमिनी के खिलाफ दंडात्मक कार्यवाही-  एमसीएम रिज़ॉल्यूशन की कॉपी जहां डीई / एबी नॉमिनी ने फीस बढ़ोतरी का समर्थन किया। उनके खिलाफ क्या कार्रवाई की गई थी? वे असली अपराधी हैं। क्यों अभिभावकों, छात्रों और कर्मचारियों को स्कूल को डी-रोक्गनाइजिंग करके दंडित किया जाता है? जब स्कूल लगातार 4 सालों से (जबसे शिक्षा विभाग ने दिखाने को काम करना शुरू किया) फीस बढ़ा रहा है तो इसमें स्कूल के अतिरिक्त उस विभागीय कर्मचारियों व अधिकारियों अर्थात शिक्षा विभाग नॉमिनी के ऊपर भी कानूनी कार्यवाही होनी चाहिए जिन्होंने नियमों का उल्लंघन कर स्कूलों को फ़ीस बढ़ाने की अनुमति दी।
डीई / एबी नॉमिनी का निलंबन – बेहतर होगा कि केवल प्रबंधन (डीई / एबी नामिती – विभागीय कार्रवाई से युक्त) को निलंबित कर दिया जाए अर्थात डीएसईएआर 1973 के अनुसार ले लिया जाए और अभिभावकों / छात्रों को स्कूल की मान्यता रद्द कर दंडित न किया जाए।
शिक्षा निर्देशालय की PSB (प्राइवेट स्कूल ब्रांच) पर दंडात्मक व निलंबन – शिक्षा निर्देशालय की PSB ( प्राइवेट स्कूल ब्रांच) के कर्मचारियों व अधिकारियों पर भी कानूनी कार्यवाही होनी चाहिए क्योंकि वो भी शिकायतें मिलने के बावजूद कोई कार्यवाही नहीं करते और अभिभावकों से तथ्य छुपाते हैं। G D Goenka Sarita Vihar Case इसका एक उदाहरण है।
सरकारी जमीन पर बने 325 स्कूल की लिस्ट जारी  जैसा कि ख़बर में प्रकाशित हुआ है सरकारी जमीन पर बने 325 स्कूल हैं। शिक्षा विभाग ने क्या ये लिस्ट जनता के साथ साझा कर रखी है? नहीं EDUDEL वेबसाइट पर लास्ट अपडेट पर अगर आप जाते हैं तो आपको DDA लैंड पर बने स्कूलों की अपडेटेड लिस्ट नहीं मिलेगी।
PIO RTI पर कार्यवाही- यहाँ हम बताते चलें कि दिल्ली पेरेंट्स एसोसिएशन द्वारा RTI act 2005 के तहत एक आरटीआई Oct 2018 को इसी विषय मे लगाई गई थी, और फिर DRTI 2001 के तहत  एक और आरटीआई  जनवरी 2019 में भी लगाई थी जिसका शिक्षा विभाग से जवाव नहीं आया और RTI आज भी फाइलों में गम है।
यही नहीं DPA की RTI के उत्तर में DDE PSB योगेश प्रताप “माँगी गयी जानकारी उपलब्ध नहीं है’ हस्ताक्षर के साथ जवाब दिया था। हैरानी की बात ये है कि शिक्षा निदेशालय  को जब ये ही नहीं पता कि कितने private aided , private unaided स्कूल dda land पर हैं तो ये बताएँ की किसी भी स्कूल की land की terms के विषय मे फिर उन्हें जानकारी कैसे होगी?
नवंबर 2017 को DPA ने शिक्षा मंत्री जी के घर के बाहर धरना दिया था और उन्हें ये अवगत कराने का भरसक प्रयास किया था कि सभी स्कूल मनमानी फ़ीस बढ़ोतरी कर रहे हैं। परंतु समय समय पर विभाग द्वारा गैरजिम्मेदाराना बयान ज़ारी हो जाता है कि उन्होंने 2015 के बाद किसी भी private school को फ़ीस बढ़ाने की अनुमति नहीं दी।
DDA land पर बने 59 स्कूलों की लिस्ट तुरंत जारी जिनको मई में फीस बढ़ने की अनुमति मिली –  जब मार्च 2019 में दिल्ली हाई कोर्ट में फ़ीस बढ़ोतरी व 7th पे कमिशन का केस जो आज भी चल रहा है,  21 मई 2019 में हिंदुस्तान टाइम्स अंग्रेजी में प्रकाशित एक खबर के अनुसार DDA land पर बने 59 स्कूलों को 5 -10 % की फीस बढ़ाने की अनुमति दी गयी। ध्यान देने वाली बात ये है कि आज 5 महीनों बाद भी उन 59 स्कूलों की लिस्ट जारी नहीं हुई। क्यों?
EDUDEL नामक वेबसाइट  शिक्षा विभाग के पास EDUDEL नामक वेबसाइट है। यहाँ आज भी कोई लिस्ट नहीं मिलेगी कि 2015, 2016, 2017, 2018 और 2019 को किस किस स्कूल को कितनी फीस बढ़ाने की अनुमति दी गई है और वो स्कूल किस मद में कितनी फ़ीस ले सकता है।
प्राइवेट स्कूल द्वारा मध्य सत्र में फीस बढ़ाना – आज दिल्ली के बहुत से स्कूल अभिभावकों को सर्कुलर भेज बड़ी हुई फीस की मांग कर रहे हैं जबकि ये DSEAR 1973 Sec 17 का उल्लंघन है , जिसमे साफ़ तौर पर कहा गया है की स्कूल मध्य सत्र में फीस नहीं बढ़ा सकते। यहाँ तक कई स्कूल अभिभावकों से ये कहकर बढ़ी हुई फीस और एरियर की डिमांड कर रहे है कि उन्हें शिक्षा विभाग से अनुमति मिल गयी है।और विभाग चुप्पी साधे है।
बच्चों और पेरेंट्स में मानसिक तनाव – हमारा ये मानना भी है की  आज जो पैरेंट अपने बच्चे का उक्त स्कूल में एडमिशन करवा चूका है , मान्यता रद्द होने पर मध्य सत्र में  बच्चों और पेरेंट्स को जिस मानसिक तनाव से  गुजरना पड़ेगा  अंदाज़ा नहीं।
DPA दिल्ली सरकार से और LG से अनुरोध करता है और मांग करता है कि वर्ष 2015 ( जबसे आप दिल्ली सरकार आयी) से शिक्षा विभाग में जितने भी कर्मचारी व अधिकारी हैं अर्थात DD zone, DDE District, RDE और PSB ब्रांच से जुड़े सभी कर्मचारियों (जो काम कर रहे हैं या जो उस वर्ष पदासीन थे पर अब सेवानिवृत्त हो गए) पर “कार्य के प्रति लापरवाही व् अवहेलना” के अंतर्गत कानूनी कार्यवाही की जाए और उन सभी के व्यक्तिगत खातों की CBI जांच भी कारवाई जाए।
ये माँग हम इसलिए कर रहें हैं कि पिछले 4-5 सालों से हम बार बार कहते आ रहे हैं और आज भी दिल्ली के कई स्कूल अपने हिसाब से फीस बढ़ा रहे हैं और अधिकारी आँखे बंद किए तमाशा देख रहे हैं।
अंत मे सरकार से अनुरोध है कि 1973 में बना कानून जो लगभग 50 साल पुराना है और जिस समय ये बना था उस समय इतने private school नहीं थे जबकि आज हर गली कूचे में कुकरमुत्तों की तरह खुले हुए हैं। एक बार बैठ कर कानून में बदलाव पर काम करें जहाँ *स्कूलों को takeover कर उनको ‘राजकीय प्रतिभा स्कूलों” या केंद्रीय विद्यालयों में तब्दील करने पर विचार किया जाए।*
उम्मीद करते हैं कि बच्चों के सुखद भविष्य से जुड़े इस गंभीर मुद्दे पर दिल्ली सरकार और LG  तुरंत संज्ञान लेंगे और दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने की दिशा में काम करेंगे।
अंत में एक बार फिर अनुरोध है कि जिनकी गलती है उनको सजा दी जाये, अभिभावकों / छात्रों को स्कूल की मान्यता रद्द कर दंडित न किया जाए।
*दिल्ली पेरेंट्स एसोसिएशन शिक्षा विभाग के स्कूल की मान्यता रद्द करने का पुरज़ोर विरोध करता है।*